महाशिवरात्रि 2019 –महाशिवरात्रि कब है?
महाशिवरात्रि का शुभ पर्व 4 मार्च 2019, सोमवार को मनाया जाएगा। हिंदू महीने फाल्गुन में कृष्ण पक्ष की 14 वीं रात महाशिवरात्रि का शुभ त्योहार मनाया जाता है। फाल्गुन की अवधि अंग्रेजी कैलंडर में मार्च – अप्रैल के महीने में आती है। शिवरात्रि महोत्सव एक चांदनी रात में मनाया जाता है।
महाशिवरात्रि 2019-महाशिवरात्रि क्यों मनाई जाती है? महाशिवरात्रि का महत्व
Isha Mahashivratri 2019
नमस्कार दोस्तों , महाशिवरात्रि 2019 – महाशिवरात्रि कब है? ये जानने के बाद अब हम ये जानेगे की महाशिवरात्रि पूजाविधि क्या है ? महाशिवरात्रि क्यों मनाई जाती है ? महाशिवरात्रि व्रत नियम क्या है ? महाशिवरात्रि फोटो की। महाशिवरात्रि के तरीके क्या है ? शिवरात्रि व्रत में क्या खाना चाहिए ? और इस पोस्ट को पढ़ के आप महाशिवरात्रि पर निबंध भी आसानी से लिख सकते है.
महाशिवरात्रि क्यों मनाई जाती है?
Isha Mahashivratri in Hindi
दोस्तों हमने महाशिवरात्रि 2019 – महाशिवरात्रि कब है तथा महाशिवरात्रि के महत्व के बारे में जान लिया है। तो अब जान लेते है महाशिवरात्रि क्यों मनाई जाती है?
महाशिवरात्रि क्यों मनाई जाती है? से जुड़ा कोई स्पष्ट कारण अभी तक ज्ञात नहीं है क्योंकि हिंदी संस्कृति में इस के संदर्भ में कई कहानियां प्रचलित है। तो चलिए दोस्तों उन कहानियों के बारे में जानते है जो महाशिवरात्रि क्यों मनाई जाती है? सवाल के जवाब के तौर पर हिंदी संस्कृति में प्रचलित ये 4 छोटी महाशिवरात्रि की कहानी आपको बताते है.
महाशिवरात्रि की कहानी
#1. महाशिवरात्रि की कहानी
- शिव और पार्वती का विवाह:
उत्तर भारतीय इस दिन को भगवान शिव और देवी पार्वती की शादी की सालगिरह के रूप में मनाते हैं। मंदिरों को फूलों से सजाया जाता है और भक्त शाम को भोले की बारात या शिव की बारात के नाम पर जुलूस निकालते हैं। यदि ये पूछा जाए कि सबसे प्रचलित कथा कौन सी है जो महाशिवरात्रि के शुभ पर्व से जुड़ी है तो वो निश्चित तौर पर शिव पार्वती का विवाह ही होगा।
#2 . महाशिवरात्रि की कहानी
- देवताओं और राक्षसों का संघर्ष:
एक और लोकप्रिय मान्यता महाशिवरात्रि को शिव जी द्वारा ब्रह्मांड को बचाने के लिए जहर पीने से जोड़ती है। समुद्र मंथन (पौराणिक सागर मंथन) के दौरान, देवताओं और राक्षसों ने एक विष के तथा एक अमृत के घड़े की खोज की।
जब देवताओं और राक्षसों के बीच अमृत को पीने के लिए संघर्ष चल रहा था तो शिव ने छलपूर्वक देवताओं को अमृत पिला दिया। अब सवाल ये था कि विष को कौन पीएगा? तो ऐसे में ब्रह्मांड को अपने प्रभाव से बचाने के लिए भगवान शिव ने जहर पी लिया। देवताओं ने शिव को विष के हानिकारक प्रभाव से बचाने के लिए नृत्य किया और उन्हें एक रात के लिए जगाए रखा।
विष ने अंततः शिव को नुकसान नहीं पहुंचाया, लेकिन उनकी गर्दन नीली हो गई। यह तब था जब उन्हें नीलकंठ नाम मिला था। तब से, उस रात को महा शिवरात्रि के रूप में मनाया जाता है।
#3 . महाशिवरात्रि की कहानी
- ब्रह्मा और विष्णु में श्रेष्ठ कौन? :
शिव पुराण में एक कथा के अनुसार, हिंदू देवताओं, ब्रह्मा और विष्णु में श्रेष्ठ को स्थापित करने के लिए संघर्ष चल रहा था। लड़ाई की तीव्रता से भयभीत, अन्य देवताओं ने शिव से हस्तक्षेप करने के लिए कहा और उन्होंने ब्रह्मा और विष्णु के बीच अपना विकराल रूप धारण किया जिससे उन्हें अपनी लड़ाई की निरर्थकता का एहसास हो सके।
शिव ने उन्हें ब्रह्मांड के अंत की खोज करने का कार्य दिया और कहा कि जो भी ब्रह्मांड की खोज करेगा वह श्रेष्ठ माना जाएगा। ब्रह्मा ने हंस का रूप धारण किया और ऊपर की ओर चले गए जबकि विष्णु ने वराह का रूप धारण किया और पृथ्वी के अंदर चले गए।
जैसे ब्रह्मांड की कोई सीमा नहीं है, न तो ब्रह्मा और न ही विष्णु हजारों मील की खोज के बावजूद अंत पा सकते हैं।ब्रह्मा ने अपनी खोज को समाप्त करने और केतकी के फूल को गवाह के रूप में लेने का फैसला किया, जो झूठी गवाही देने को तैयार हो गया था।
इससे शिव नाराज हो गए और उन्होंने ब्रह्मा को झूठ बोलने की सजा दी और उन्हें श्राप दिया कि कोई भी उनसे कभी प्रार्थना नहीं करेगा। इसीलिए आज तक, हिंदू ब्रह्मा की पूजा नहीं करते हैं और उनके लिए केवल एक मंदिर समर्पित है – राजस्थान का पुष्कर मंदिर।
केतकी के फूल को भी किसी भी पूजा के लिए प्रसाद के रूप में उपयोग करने पर प्रतिबंध लगा दिया गया था, क्योंकि उसने झूठे तरीके से गवाही दी थी। चूंकि शिव ने देवताओं के बीच लड़ाई को शांत करने में मदद की, इसलिए उनके सम्मान में महाशिवरात्रि दिन मनाया जाता है।
#4. महाशिवरात्रि की कहानी
- शिव तांडव:
एक अन्य लोकप्रिय कथा के अनुसार, महा शिवरात्रि वह रात है जब शिव सृष्टि, संरक्षण और विनाश का स्वर्गीय नृत्य करते हैं। भजनों के माध्यम से, भक्तों द्वारा शिव शास्त्रों का पाठ इस लौकिक नृत्य में शामिल होता है।
नृत्यों का सर्वोच्च देवता नटराज, भगवान शिव का ही दूसरा रूप है। शिव के सम्मान के साथ शास्त्रीय नर्तकियों द्वारा शिव के नृत्यों और तांडव को विभिन्न रूपों में प्रदर्शित किया जाता है।
#5. महाशिवरात्रि की कहानी
- शिकारी द्वारा शिव लिंग की पूजा:
एक लोकप्रिय मान्यता के अनुसार, एक शिकारी को जंगल में अपने भोजन के लिए मारने के लिए कुछ भी नहीं मिला, तो उसने जंगली जानवरों से सुरक्षित रहने के लिए एक बेल पेड़ की शाखा पर रात बिताने का फैसला किया।
कुछ समय पश्चात उसे नींद आने लगी। इसीलिए खुद को जागृत रखने के लिए, शिकारी ने बेल की पत्तियों को जमीन पर फेंकना शुरू कर दिया, इस बात से अनजान कि पेड़ के नीचे एक शिवलिंग था। शिकारी के धैर्य से प्रसन्न होकर, भगवान शिव शिकारी के सामने प्रकट हुए और उसे ज्ञान का आशीर्वाद दिया।
इसीलिए ऐसा माना जाता है कि यदि बेल के पत्तों से शिव पूजा की जाए तो भगवान शिव जल्दी ही प्रसन्न हो जाते है। ये वही रात थी जिसे अब हम महा शिवरात्रि के रूप में मनाते हैं।
महाशिवरात्रि का महत्व :
दोस्तों हमने महाशिवरात्री 2019 – महाशिवरात्री कब है? के बारे में बात कर ली। तो अब महाशिवरात्री के महत्व को जान लेते है।
महा शिवरात्रि, जिसका शाब्दिक अर्थ “शिव की महान रात” है, एक हिंदू त्यौहार है जो भारत और नेपाल में बड़े पैमाने पर मनाया जाता है। यह त्योहार हिंदू कैलंडर के अनुसार माघ के महीने में मनाया जाता है। ये दिन हिंदू संस्कृति में एक महत्वपूर्ण देवता भगवान शिव की पूजा करने का दिन मनाया जाता है।
महाशिवरात्रि का त्योहार भगवान शिव के लाखों भक्तों के लिए सबसे महत्वपूर्ण त्योहार है। इस त्योहार को हिंदू पौराणिक कथाओं में बहुत महत्व दिया गया है। माना जाता है कि जो भक्त शिवरात्रि के शुभ दिन भगवान शिव की ईमानदारी से पूजा करता है वह पापों से मुक्त हो जाता है और मोक्ष प्राप्त कर लेता है।
महाशिवरात्रि पर्व महिलाओं के लिए भी एक अत्यंत महत्वपूर्ण त्योहार माना जाता है। विवाहित और अविवाहित महिलाएं देवी पार्वती को प्रसन्न करने के लिए ईमानदारी से शिव पूजा करती हैं, जिन्हें ‘गौरा’ के रूप में भी माना जाता है। और माना जाता है कि गौरा लंबे और समृद्ध वैवाहिक जीवन के लिए शुभकामनाएं देती हैं। अविवाहित महिलाएं भी भगवान शिव की तरह एक पति के लिए प्रार्थना करती है।
महाशिवरात्रि पूजाविधि क्या है ?
दोस्तों हम आपको यहां पर आपको सबसे आसान महा शिवरात्रि पूजाविधि बतायेगे। देखिये अगर आप एक पंडित की तरह महाशिवरात्रि पूजाविधि करना चाहते है तो वो भी हम आपको बता देते है लेकिन यह महाशिवरात्रि पूजाविधि
आपके लिए थोड़ी कठिन हो सकती है फिर भी हम आपको महाशिवरात्रि पूजाविधि बता है.
दोस्तों महाशिवरात्रि पूजाविधि के आपको सबसे पहले आपको पांच तरह की मिठाई, फूल, बिल्वपत्र, धतूरा, गंगा जल, कपूर, धूप, दीप, भांग, बेर, आम्र मंजरी, पांच मेवा, पांच रस, इत्र, गाय का कच्चा दूध, गन्ने का रस, जौ की बालें, मंदार पुष्प, दही, गंध रोली, मौली, जनेऊ, पांच फल, घी, शहद, चंदन, मां पार्वती व शिव की श्रृंगार की सामग्री लानी होगी.
इसके बाद आपको षोडशोपचार पूजा विधि के द्वारा महाशिवरात्रि पूजा करनी होगी जोकि की काफी लम्बी और कठिन है.
इस विधि के आलावा आप महा शिवरात्रि की आसान पूजा विधि भी अपना सकते हो.
चलिए अब हम आपको सबसे आसन महाशिवरात्रि पूजाविधि बताते है.
देखिये किसी भी भगवान की पूजा करने करने के लिए सबसे जरुरी बात है सच्ची भक्ति और सरधा का होना. अगर आपके मन में शिव भगवान के लिए सच्ची भक्ति है तो आप आसन तरीके से भी महा शिव रात्रि पूजा विधि कर सकते है.
इसके लिए आप बेल का पत्र, या अक्षत के चार दाने लेकर आये. अब आप पूरी सरधा के साथ इनको भगवान शिवलिंग पे चढ़ाए. साथ ही साथ आप शिवलिंग या शिव जी की मूर्ति को पंचामृत से स्नान कराए. और लगातार ‘ॐ नमः शिवायः’ मंत्र का जाप भी करते रहे.
ऐसा करने से भगवान शिव निश्चिंत ही प्रसन्न हो जायेगे.
महाशिवरात्रि व्रत नियम क्या है ?
महाशिवरात्रि के दिन व्रत करने से काफी शुभ और लाभ मिलता है. शिव के सभी भगत एस दिन शिवरात्रि व्रत रखते है. इस दिन सभी भक्त शिव मन्दिर में इकट्टा होते है और शिव जी की पूजा अर्चना करते है.
महाशिवरात्रि के दिन व्रत करना काफी कल्याणकारी होता है. महाशिवरात्रि व्रत नियम के अनुसार एक दिन पहले भगवान शिव की पूजा करनी चाहिए. पूजा करने के बाद सच्चे दिल से व्रत का संकल्प लेना चाहिए. अगले दिन शुभ उठ कर अपना शौचालय इतियादी का नित्य काम करे.
इसके बाद अच्छे से स्नान करे और साफ सुथरे अच्छे वस्त्र पहने. और भूल कर भी कुछ न खाये क्युकी शुभ शुभ सभी के घर खाना बनता है कहीं भूल में कुछ खा लो.
इसके बाद आप दिन में शिव मंदिर जाकर शिवलिंग के सामने या भगवान शिव की मूर्ति के सामने पूजा पाठ करे. शिवलिंग को पंचामृत से स्नान कराए और साथ में “ऊं नमो नम: शिवाय” मन्त्रों का उचारन करे. हो सके तो चारो पहर में शिव जी की आरधना यानि ध्यान करना चाहिए.
दिन के समय में किसी के पास जाके शिवरात्रि व्रत कथा सुननी चाहिए. महाशिवरात्रि व्रत कथा सुनने से भगवान जल्दी प्रसन्न होते है.
अगले दिन सुबह अच्छे से नहाये और जोभी दान आप पंडितो को देना चाहते है उसका दान कर सकते है. इस दिन गरीब / जरूरतमंद और असहाय लोगो को दान करने से और उनकी सहायता करने से आपको अपार धन और सुख की प्राप्ति होती है.
शिवरात्रि व्रत में क्या खाना चाहिए ?
महाशिवरात्रि के दिन बच्चे, बूढ़े और औरतें बड़े चाव से तो व्रत रखती है. व्रत रखने वाले को इस दिन अनाज और नमक नहीं खाना होता. इस वजह से व्रत रखने वाले व्यक्ति को शरीर में थकान आ जाती है और कुछ खाने की इच्छा ज्यादा बढ़ जाती है. लेकिन दोस्तों शिवरात्रि के व्रत में क्या खाया जाता है इसके बारे में पता होना जरूरी है ताकि शिव भगवान भी प्रसन्न रहें और व्रत करने वाले व्यक्ति को भी बहुत ज्यादा तकलीफ का सामना ना करना पड़े.
हम यहां पर आपको “शिवरात्रि व्रत में क्या खाना चाहिए” इसके बारे में बताएंगे.
सामान्य रूप से देखा जाए तो आप किसी भी व्रत में फल खा सकते हैं और काफी हद तक अपनी भूख को शांत कर सकते हैं. फल के अलावा भी काफी तरह की चीजें होती हैं जो हम शिवरात्रि के दिन खा सकते हैं.
“शिवरात्रि व्रत में क्या खाना चाहिए”
1.मखाने और मूंगफली : जैसा कि पहले ही बताया गया है शिवरात्रि के दिन आप नमक का सेवन नहीं कर सकते. लेकिन फिर भी आपका मन नमक खाने का कर रहा है तो आप मखाने और मूंगफली को घी में फ्राई करके उसमें सेंधा नमक डालकर खा सकते हैं. ऐसा करने से आपका व्रत नहीं टूटेगा.
2. कद्दू के आटे की पकौड़ी : इस दिन आप कद्दू के आटे से पकौड़ी बना सकते हैं. यह खाने में बहुत ही स्वादिष्ट होती है इससे आपकी भूख भी शांत हो जाएगी.
3. ठंडाई : वैसे तो इस दिन लोग भांग का काफी सेवन करते हैं लेकिन ऐसा करना आपकी सेहत के लिए हानिकारक भी हो सकता है. इस दिन आप दूध के साथ बनाई गई ठंडाई पी सकते हैं. इससे आपके शरीर में एनर्जी आएगी.
4. आलू : आप आलू से बने हुए चिप्स जिनमें नमक ना हो वह खा सकते हैं. आप चाहो तो घर पर आलू को उबालकर भी खा सकते हैं.
5. शकरकंद : शकरकंदी को आप सभी ने खाया होगा. यह खाने में बड़ी स्वादिष्ट होती है. व्रत वाले दिन शकरकंदी को आप उबाल कर खा सकते हैं यह एक तरह का फल होता है.
महाशिवरात्रि फोटो :
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दोस्तों अब हम आपके सामने यहां पर महाशिवरात्रि की फोटो पेश कर रहे हैं. भगवान शिव को खुश करने के लिए आप इस आर्टिकल और फोटोस को ज्यादा से ज्यादा शेयर कर सकते हैं. हम आशा करते हैं कि आपको महाशिवरात्रि की फोटो पसंद आएगी.










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दोस्तों हमे जाना कि महाशिवरात्रि 2019 – महाशिवरात्रि कब है? तथा महाशिवरात्रि क्यों मनाई जाती है? के बारे में भी बात की। और हमने महाशिवरात्रि के महत्व के बारे में भी जाना। दोस्तों यदि हमारे आर्टिकल से जुड़ी आपकी कोई राय है तो आप कमेंट सेक्शन में दे सकते है। यदि महाशिवरात्रि 2019 – महाशिवरात्रि कब है? महाशिवरात्रि के महत्व तथा महाशिवरात्रि क्यों मनाई जाती है? से जुड़ा हुआ कोई भी सवाल आपके मन में है तो कमेंट सेक्शन में ज़रूर पूछे, हम जल्दी से जल्दी आपके सवाल का जवाब देने का प्रयास करेंगे।
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