काफी दोस्तों के मन में ये सवाल है की बकरीद क्यों मनाते है ? बकरे की बलि क्यों दी जाती है? आजकी इस पोस्ट में हम आपको सही से बतायेगे की बकरीद क्यू मनाई जाती है?
दोस्तो हमारे भारत देश में कई प्रकार के धर्म है कुछ ऐसे धर्म है । की लोग अपने धर्म की रक्षा और पालन करने के लिए त्याग और बलिदान देते चले आ रहे हैं। और इनमें से एक धर्म इस्लाम धर्म है जो अपने धर्म का पालन करने के लिए बकरे या अन्य जानवर की बलि भी देते हैं आखिर क्यों इस्लाम धर्म में बकरे की बलि दी जाती है इसका कारण क्या है आज हम artical के माध्यम से आपको बताएंगे की जानवरों की बलि क्यों दी जाती है और बकरीद क्यों मनाई जाती है।
आइए कहानी के माध्यम से समझते हैं कि
बकरीद क्यों मनाई जाती है? बकरे की बलि क्यों दी जाती है?
हजरत इब्राहिम अली नाम का व्यक्ति इस्लाम धर्म का पैगंबर माना जाता है । इब्राहिम को कई साल तक कोई लड़का पैदा नहीं हुआ । फिर उसके सपने में अल्लाह आऐ । और उसके अगले दिन इब्राहिम ने एक ऊठ को अल्लाह के चरणों में बलीदान कर दिया इसके बाद 90 वर्ष के बाद इब्राहिम को एक लड़का पैदा हुआ जिसका नाम इब्राहिम स्माइल रखा । फिर उसके बाद एक हजरत इब्राहिम को अल्लाह का ख्वाब आने लगा। इसके पहले इब्राहिम ऊंट की बलि दे चुके थे। अल्लाह इब्राहिम के सपने में आए और कहा किसी प्यारी जीव का बलिदान दो।
अल्लाह का आदेश समझदार इब्राहिम ने अपने बेटे को बलि देने का निर्णय किया। एक तरफ से अपने बेटे से मोहब्बत थी और दूसरी तरफ अल्लाह का आदेश लेकिन अल्लाह का आदेश ना मानना एक तरफ से धर्म के खिलाफ तोहीन था ।
इब्राहिम अपनी पत्नी से कहा इसे नहालाकर धूलाकर तैयार करो।
घर से अपने बेटे को बलिदान देने की जगह पर ले जा रहे थे तभी रास्ते में एक शैतान मिला और उसने कहा अपने बेटे का बली देना गलत है लेकिन इब्राहिम ने शैतान की बात में ना आए। और अपनी आंखों पर पट्टी बांधकर अपने बेटे का बली दे दिया। देखिए अल्लाह कितना दया दयालु है । बली देते वक्त अल्लाह ने बच्चे को हटाकर बकरी को रख दिया जब इब्राहिम ने आंखें खोली तो उसने देखा कि उसके बेटे की जगह एक बकरे की बलि चढ़ गई है। मोहम्मद हजरत इब्राहिम काफी पसंद हुआ और अल्लाह को प्रणाम किया। और अल्लाह ने भी बली को कबूल किया। अल्लाह ने इब्राहिम उसी समय इस्लाम धर्म का पैगंबर बना दिया । हजरत इब्राहिम खुशी-खुशी घर घर लौट.आया।
इसी समय से यह परंपरा चली आ रही है। इसी कारण बकरीद के दिन बकरे या अन्य जानवर की बलि दी जाती है।
बकरीद (ईद-उल- जुबा) कैसे मनाते हैं ?
दोस्तों बकरीद के पहले ईद -उल- फित्र आता है आप ने ईद -उल- फित्र बारे में सुना होगा इसे मीठी ईद के नाम से भी जना जाता है। ईद -उल- फित्र मनाने लिए रमजान के महीने में रोजा रखते हैं यह रोजा 2 महीने का होता है । और मीठी ईद के अंतिम दिन में सेवईया मिठाइयां अनेक प्रकार के पकवान बनाई जाती है। और एक-दूसरे को उपहार दिया जाता है मीठी ईद के 70 दिन के बाद आती है बकरीद
बकरीद के दिन लोग नमाज पढ़ते हैं एक दुसरे के गले मिलते है और शुभकामनाएं देते हैं। फिर उसके बाद जानवरों की बलि दी जाती है।
बकरे के गोश्त को तीन भागों में बांटा जाता है
1, खुद का इस्तेमाल करने के लिए और
2, दूसरा भाग गरीबो में दान करने के लिए और
3, तीसरा भाग रिश्तेदार को देने के लिए
कुछ लोग तो पूरा भाग गरीबो में दान कर देते हैं।
लेकिन इस्लाम घर्म में कुछ कानून भी बनाए गए हैं नमाज पढ़ने के पहले बकरे की बलि नहीं की जा सकते। अगर कोई बली देता है इसका कोई अर्थ नहीं होता । अल्लाह कुबूल नहीं करता। और सभी जानवरों की बलि नहीं दी जा सकती है ।
जैसे -किसी बकरे की कान कटे हो या एक पैर से लंगडा जो शारीरिक रूप से स्वस्थ जानवर नहीं होती। उन्हें बली नही दिया जा सकता। अल्लाह कबूल नहीं करता।
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दोस्तों आपको हमारी ये पोस्ट बकरीद क्यों मनाई जाती है? बकरे की बलि क्यों दी जाती है? कैसी लगी हमे जरुर बताये. अगर कोई सवाल जबाब है तो आप हम से कमेंट बॉक्स में जरिये पूछ सकते है.
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